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ChangeMakers

मेरा नाम राजबाला है और मैं गुढ़ा गाँव की रहने वाली हूँ । अक्सर कुछ अनुभव ऐसे छाप छोड़ कर जाते है जो हमेशा याद रहते हैं। ऐसा एक अनुभव मेरे जीवन में एक शिक्षण मित्र के तौर पर वारित्रा फाउंडेशन के साथ जुड़ कर आया। अपने ही गाँव मे काम करना थोड़ा मुश्किल होता है खासकर तब जब कसी पुरानी सोच को चुनौती देते हैं। हमारी कोशिश थी की किस तरह अलग अलग खेओं के माध्यम से बच्चों को सिखाया जाए। मैंने बच्चों के साथ काम किया और गाँव वालो, बच्चों के अभिभावकों को भी इस मुहीम के साथ जोड़ने का प्रयास किया। बहुत लोगों को लगता था कि बिना मार के बच्चा पढ़ नहीं सकता है या खेल-कूद वाला तरीके का कोई फायदा नहीं है क्योंकि शायद उन्हें खुद यही धारणा सिखायी गयी थी। अलग-अलग अवसरों के माध्यम से गांव वालों से बात की। अध्यापक-अभिभावक मीटिंग (PTM) उसमे से एक अवसर था। धीरे-धीरे हमें गाँव वालों का सहयोग मिलने लगा। धीरे-धीरे वारित्रा के साथ मिलकर हमने बच्चों और शिक्षा से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझा। सबसे ज्यादा मुझे प्लानिंग और तैयारी की अहमियत समझ आई । मुझे रिकॉर्ड रखना या प्लानिंग मे ज्यादा रूचि नहीं थी। लेकिन जब बच्चों के साथ काम करना शुरू किया, तो यही बात समझी कि एक अध्यापक बनने के लिए प्लानिंग कितनी अहम है। मुझे अपने सेंटर के बच्चों से बहुत प्यार मिला।

राजबाला