मैं गढ़ी खजूर गाँव की रहने वाली हूँ । मैंने अपनी स्कूल की पढ़ाई गाँव से पूरी करी जिसमे मुश्किलें तो बहुत आईं, लेकिन अगर अपना सपना पूरा करना हो तो सभी मुश्किलें छोटी पड़ जाती है। स्कूल के बाद जब कॉलेज मे जाना शुरू किया तो गाँव से कई मुश्किलें आई जैसे आने-जाने के लिए परिवहन की सुविधा न होना और "लड़की आगे पढ़ कर क्या करेगी" की धारणा। लेकिन मैंने अपनी आगे की पढ़ाई जारी रखी और कॉलेज मे NCC क्लब मे भी शामिल हो गयी । इस दौरान मैंने जाना कि मैं अभी तक भी अपने समाज से परिचित नहीं हूँ। शिक्षा से आज भी बहुत से बच्चों को वंचित रखा जाता है जबकि शिक्षा भविष्य के लिए नीव का काम करती है। लेकिन बहुत से गावों में शिक्षा को जरूरी नहीं माना जाता और न ही इस पर इतना ध्यान दिया जाता है। मेरे इन्हीं सवालों ने मुझे वारित्रा फ़ाउंडेशन के साथ जुड़ने के लिए प्रेरित किया ।

वारित्रा के साथ जुड़ कर मुझे अवसर मिला कि मैं अपने समाज को बेहतर जान पाऊँ और इन समस्याओं के कारणों को गहराई से समझूँ । यहां मुझे शिक्षा प्रणाली को समझने और जानने का मौका मिला । मैंने अपने गाँव के बच्चों के साथ काम किया। साथ ही गाँव-वालो के साथ शिक्षा की अहमियत पर बातचीत की पहल करी कि चाहे लड़का हो या लड़की, शिक्षा दोनों के लिए जरूरी है। इस दौरान मुझे खुद मे भी बदलाव देखने को मिला। शिक्षा, बच्चे और गाँव के साथ-साथ खुद के विभिन्न पहलू को भी जानने का मौका मिला। मुझे अपने गाँव से बाहर जाकर सीखने का मौका मिला। वारित्रा के साथ ये सफ़र यही तक नहीं रुका। इस दौरान मैं दिल्ली में प्रवाह संस्था के साथ 'स्माइल इंटर्नशिप प्रोग्राम' का हिस्सा बनी और मुझे राजस्थान के ग्रामीण इलाक़ो मे जाने का मौका मिला । इस प्रोग्राम का हिस्सा बन कर मैंने वहां के ग्रामीण इलाके के बारे मे जाना - उनका रहन-सहन, संस्कृति और सामाजिक कठिनाइयाँ भी। ये मेरे लिए बहुत ही अलग अनुभव था । मेरे सवालों का जवाब ढूढ़ने की कोशिश अभी भी जारी है। भारतीय सेना मे शामिल होना मेरा सपना है जिसके लिए मैं बहुत मेहनत कर रही हूँ ।