हर शिक्षक चाहता है कि वह जो नई अवधारणा बच्चों को सीखाना या बताना चाहता हैं, उसे बच्चे संतुष्ट हो और आसानी से सीख जाएं| इसके लिए, वह समय-समय पर विभिन्न तरह की विधियाँ खोजते रहते हैं | शिक्षक बच्चों को सिखाने के लिए जिन भी सहायक सामग्रियों का इस्तेमाल करते है उन्हें शिक्षण सहायक सामग्री कहा जाता है | इन सामग्रियों को टी.एल.एम. (Teaching Learning Materials) भी कहा जाता हैं | फ़्लैश कार्ड्स, चार्ट्स, मॉडलस, मोती-माला, फुल-पत्ते, कठपुतली आदि कुछ मुख्य सामग्री हैं |
कार्टर ए गुड द्वारा दी गयी परिभाषा के अनुसार “कोई भी ऐसी सामग्री जिसके माध्यम से शिक्षण प्रक्रिया को उद्दीप्त किया जा सके अथवा सुनने के इंद्री से संवेदनाओं के द्वारा आगे बढ़ाया जा सके, वह शिक्षण सहायक सामग्री कहलाती है |”
जिस तरह से शिक्षा के क्षेत्र में नए-नए विचारों और तरीकों का प्रयोग किया जाता रहा हैं, उनमें शिक्षण सहायक सामग्री का अहम हिस्सा हैं | शिक्षण सहायक सामग्री की मदद से बच्चे पिछले अनुभवों और सीख को नई सीख के साथ जोड़ पाते हैं, क्योंकि यह उनमें नई सोच और खोज को प्रोत्साहित करती हैं | ये सभी अनुभव बच्चों के संपूर्ण विकास में भी सहायता करती हैं |
आमतौर पर देखा जाएँ तो शिक्षण सहायक सामग्रियां तीन प्रकार की होती है –
- दृश्य सामग्री – जिन सामग्री को दिखा कर सिखाया जा सकता है उसे दृश्य सामग्री कहते है | जैसे – ब्लैकबोर्ड, ग्राफ, अख़बार, संख्या कार्ड्स आदि | इनको अंग्रेजी में visual material कहा जाता है |
- श्रव्य सामग्री – ऐसी सामग्री जिसको सुना कर सिखाया जाता है उसे श्रव्य सामग्री कहते हैं | जैसे – रेडियों, ऑडियों आदि | इनको अंग्रेजी में audio material कहा जाता है |
- दृश्य-श्रव्य सामग्री – जिन सामग्रियों से दिखा कर और सुना कर सिखाया जाएँ उसे दृश्य-श्रव्य सामग्री कहा जाता हैं | जैसे- फिल्म, टेलीविज़न, कंप्यूटर, कठपुतली, ड्रामा आदि | इनको अंग्रेजी में Audio-Visual material कहा जाता है |
इसके अलावा इनके दो प्रकार और देखे जा सकते हैं –
शिक्षण सहायक सामग्री की विशेषताएँ
शुरुआत में शिक्षण सहायक सामग्री का इस्तेमाल कुछ बच्चों तक ही सीमित रखा जाता था | लेकिन, धीरे-धीरे इसके अनेकों फ़ायदे सामने आने लगे | जिसके बाद, आज TLMs विश्व भर में – चाहे वह गाँव हो या शहर, सभी जगह पढने और लिखने की प्रक्रिया में नयापन लाने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा हैं|
पिछले दो वर्षों में बच्चों के साथ काम करते हुए इसके बहुत से फायदे समझ आएं कि TLMs की मदद से -
- बच्चों की नई अवधारणाओं को जानने में रूचि बढती है |
- सीखने-सिखाने की प्रकिया मजबूत बनती है |
- सीखी गयी चीज़े लम्बे समय तक याद रहती हैं |
- बच्चों का मानसिक और तार्किक विकास होता हैं |
- कक्षा में बच्चों की भागीदारी बढती हैं |
- जटिल विषयों को वास्तविक रूप देकर समझाना आसान हो जाता हैं |
- बच्चें और अध्यापक दोनों समूह से काम करना सीखते हैं |
- बच्चों के मन-मस्तिष्क में नई अवधारणाएँ जन्म लेती है |
- बच्चों को आकर्षित कर उनकी जिज्ञासा को बढ़ाने में मदद करता है |
- वास्तविक वस्तुओं का उपयोग भी शिक्षण सहायक सामग्री के रूप में किया जा सकता हैं |
शिक्षण सहायक सामग्री की उपलब्ता
आज-कल बहुत-सी शिक्षण सहायक सामग्रियां बाज़ार में उपलब्ध होती हैं | जैसे – संख्या कार्ड्स, फ़्लैश कार्ड्स, घड़ी के मॉडल आदि | यह बहुत आकर्षक लगते है और लम्बे समय तक इनका उपयोग किया जा सकते हैं |
टीचर्स खुद भी इन सामग्रियों को बना सकते हैं और बच्चों के मदद से भी इन सामग्रियों का निर्माण किया जा सकता है | इससे बच्चों में कला का भी विकास होता है और बच्चें सामग्रियों को भी सँभाल कर रखते हैं | यह अपव्यय से बचाता है और साथ ही साथ बच्चों व टीचर्स के सम्बन्ध भी मजबूत बनते हैं | बहुत-सी शिक्षण सहायक सामग्रियां हमे पर्यावरण से भी मिल सकती है | जैसे – फुल, पत्ते, डंडियाँ, कंकर, पत्थर आदि | यह सामग्रियां बिना किसी लागत के उपलब्ध हो सकती है | इन्हें हमे बच्चों के साथ मिल-कर भी खोज सकते है |
नीचे दिए गयी किताबें के द्वारा हमें शिक्षण सहायक सामग्रियां बनाने में और बच्चों के साथ इन शिक्षण सहायक सामग्रियों का इस्तेमाल करना सीख सकते हैं -
- कम लागत, बिना लागत शिक्षण सहायक सामग्री (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया)
- खेल-खेल में बच्चों का विकास (नेशनल बुक ट्रस्ट, इंडिया)
- पिटारा खोलों अंक बोलें (हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद,पंचकुला)
- खेल-खेल में शिक्षा : विष्णु चिंचालकर
- खेल खिलौने (एकलव्य प्रकाशन)
- माचिस की तीलियों के रोचक खेल (एकलव्य प्रकाशन)
- बौछार (हरियाणा स्कूल शिक्षा परियोजना परिषद,पंचकुला), आदि
नीचे दिए गए लिंक से आप कुछ TLMs की विधियाँ जान सकते है ।
https://youtube.com/playlist?list=PLS_ZXj3FWKEEUk4Y9vKsxUtX7aAxCPF8g